मूडीज ने अपने नए पूर्वानुमान में कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि शून्य रह सकती है. इसका मतलब है कि देश की जीडीपी की स्थिति इस वित्त वर्ष में शून्य रहेगी.

मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने 08 मई 2020 को मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर शून्य प्रतिशत कर दिया है. मूडीज के मुताबिक, भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) कम रहेगी. कोरोना वायरस के वजह से देश की अर्थव्यवस्था का संकट बढ़ता जा रहा है.
विश्वभर की रेटिंग एजेंसियां भारत की अर्थव्यवस्था ग्रोथ को लेकर चिंता जाहिर की है. एजेंसी ने कहा कि भारत की रेटिंग पर नेगेटिव आउटलुक से जोखिम बढ़ रहे हैं और आर्थिक, संस्थागत मुद्दों के लिहाज से जीडीपी की वृद्धि पहले की तुलना में काफी कम रहेगी.
वित्त वर्ष 2021-22 में वृद्धि दर के 6.6 प्रतिशत
मूडीज ने अपने नए पूर्वानुमान में कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि शून्य रह सकती है. इसका मतलब है कि देश की जीडीपी की स्थिति इस वित्त वर्ष में शून्य रहेगी. एजेंसी ने हालांकि, वित्त वर्ष 2021-22 में वृद्धि दर के 6.6 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान व्यक्त किया है. मूडीज ने पिछले महीने के अंत में कैलेंडर वर्ष 2020 में जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 0.2 फीसदी कर दिया था.
कोरोना से प्रभावित अर्थव्यवस्था
कोरोना वायरस के चलते अर्थव्यवस्था की हालत बहुत ही खराब हो रही है, साथ ही आंशिक रूप से लंबे समय से चली आ रही आर्थिक और संस्थागत कमजोरियों ने भी अर्थव्यवस्था को कमजोर किया है. मूडीज को डर है कि कोरोना वायरस महामारी से लगा झटका आर्थिक वृद्धि में पहले से ही कायम नरमी को और बढ़ा देगा. मूडीज ने कहा कि भारत की क्रेडिट रेटिंग के नकारात्मक परिदृश्य से पता चलता है कि जीडीपी की वृद्धि दर पहले की तुलना में काफी कम रहने वाली है.
मुख्य बिंदु
• मूडीज ने चेतावनी दी कि कोरोनावायरस महामारी से लगा झटका आर्थिक वृद्धि में पहले से ही कायम नरमी को और बढ़ा देगा. इसने राजकोषीय घाटे को कम करने की संभावनाओं को पहले ही कमजोर कर दिया है.
• मूडीज के अनुसार, इस महामारी का देश की आर्थिक स्थिति पर बड़ा प्रभाव पड़ना तय है. मूडीज की स्थानीय इकाई इक्रा ने इस महामारी के कारण वृद्धि दर में दो प्रतिशत की गिरावट की आशंका व्यक्त की है.
• एजेंसी ने इस बारे में कहा कि इन उपायों से भारत की आर्थिक नरमी के असर और अवधि को कम करने में सहयता मिल सकती है.
• एजेंसी ने कहा कि कोरोना के संकट के चलते भारत पूरी तरह से थम गया है और इस साल इसका असर देखने को मिलेगा.
राहत पैकेज की घोषणा
केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के बीच मार्च में 1.70 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी. अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार एक और राहत पैकेज की घोषणा कर सकती है. मूडीज ने इस बारे में कहा कि इन उपायों से भारत की आर्थिक नरमी के असर और अवधि को कम करने में सहायता मिल सकती है. हालांकि, ग्रामीण परिवारों में लंबे समय तक वित्तीय बदहाली, रोजगार सृजन में नरमी, वित्तीय संस्थानों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफसी) के समक्ष ऋण संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
कोरोनावायरस महामारी
मूडीज ने कहा कि नकारात्मक परिदृश्य यह भी बताता है कि निकट भविष्य में इसमें बेहतरी की संभावना भी नहीं है. उसने कहा कि कोरोनावायरस महामारी के कारण ऊंचे सरकारी ऋण, कमजोर सामाजिक व भौतिक बुनियादी ढांचा तथा नाजुक वित्तीय क्षेत्र को आगे और दबाव का सामना करना पड़ सकता है.