बीज की मात्राः जीरे की बीजाई हेतु 12 कि.ग्रा. बीज प्रति हैक्टेयर की दर से उपयोग किया जाता है। बीज उपचारः गेहूँ के बीजों को बुवाई से पहले 2 ग्राम कार्बेण्डाजि़म 50 डब्ल्यू.पी. प्रति कि.ग्रा. + 4 मि.ली. क्लोरपाईरीफॉस 20 ई.सी. प्रति कि.ग्रा. से बीज को उपचारित करना बहुत आवश्यक होता है। फसल ज्यामितीः कतार से कतार 22.5 सेन्टीमीटर की दूरी रख कर ही बुवाई करनी चाहिए। पोषक तत्व प्रबंधनः गेहूँ मे पोषक तत्व प्रबंधन के लिए कम्पोस्ट खाद के साथ सिफारिश की गयी 120 कि.ग्रा. नत्रजन, 40 कि.ग्रा. फॉस्फोरस, एवं 20 कि.ग्रा. पोटास की मात्रा का उपयोग निम्न विकल्पों के अनुसार करें; पोषक तत्व खाद/उर्वरक ईकाइ खाद/उर्वरकों की मात्रा (प्रति हैक्टेयर) विकल्प 1 विकल्प 2 जैविक खाद कम्पोस्ट/वर्मिकम्पोस्ट टन 10/5 10/5 नत्रजन युरीया कि.ग्रा. 225 260 फॉस्फोरस डी.ए.पी. कि.ग्रा. 90 -- एस.एस.पी. कि.ग्रा. -- 225 पोटास एम.ओ.पी. कि.ग्रा. 35 35 नोटः खाद एवं उर्वरकों का उपयोग उपरोक्त निर्दिष्ट किसी भी एक विकल्प के आधार पर करें। अच्छी तरह सड़ा-गला कर तैयार की गयी कम्पोस्ट खाद की पूरी मात्रा को खेत में जुताई से पुर्व डालकर अच्छी तरह मिला देवें। बुवाई के समय नत्रजन की आधी तथा फास्फोरस एवं पोटास की पूरी मात्रा बीज के साथ या सीड कम फ़र्टिलाइज़र ड्रिल से डालें। नत्रजन की शेष आधी मात्रा के पुनः दो भाग करें, जिसे बुवाई के बाद क्रमशः पहली व दूसरी सिंचाई के समय छिड़क कर देवें। सिंचाई प्रबंधन: (1). हल्की मृदाओं में फव्वारे से सिंचाई निम्न फसल वृद्धी अवस्थाओं पर की जानी चाहिए। 1. शीर्ष जड़ बनने की अवस्था (CRI):- 20 दिन बाद 2. फुटान होने की अवस्था (Tillering):- 40 दिन बाद 3. गांठ बनने की अवस्था (Jointing):- 55 दिन बाद 4. बाली निकलने की अवस्था (Heading):- 70 दिन बाद 5. दाना बनने की अवस्था (Grain development):- 85 दिन बाद 6. दूधिया अवस्था (Milking):- 95 दिन बाद 7. डफ/दाना भरने या पकने की अवस्था (Dough):- 110 दिन बाद (2). मध्यम से भारी मृदाओं मे सिंचाई निम्न फसल वृद्धी अवस्थाओं पर की जानी चाहिए। 1. शीर्ष जड़ बनने की अवस्था (CRI):- 20 - 25 दिन पर 2. फुटान के समय (Tillering):- 40 - 45 दिन पर 3. गांठ बनते समय (Jointing):- 60 - 65 दिन पर 4. बाली निकलते समय (Heading):- 75 - 80 दिन पर 5. दूधिया अवस्था (Milking):- 90 - 95 दिन पर 6. डफ/दाना भरने या पकने की अवस्था (Dough):- 105 - 110 दिन पर
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गेहूँ की उन्नत कृषि पद्दती
अनाज उत्पादन मे गेहूँ का प्रमुख स्थान है। इसकी खेती समान्यतः सिंचित क्षेत्रों मे की जाती है।
उन्नत किस्में: राज 4037, राज 4083, राज 4120, राज 3777, राज 4079, जी.डब्ल्यू. 11, राज 4238
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