by फ़ेमिना

हर किसी के मन में बस यही सवाल है, आख़िर यह लॉकडाउन कब ख़त्म होगा. हर कोई चीज़ों के नॉर्मल होने और अपनी रेग्युलर ज़िंदगी जीने के लिए बेताब है. हम सभी समोसा, पानी पूरी खशने, अपने पसंदीदा रेस्तरां और बार में जाने, दोस्तों से मिलने और हज़ारों काम करने की उम्मीद पाले बैठे हैं.
भले ही आप चाहे कितना भी सोच लें, लॉकडाउन ख़त्म होने के तुरंत बाद ये चीज़ें पहले जैसी नहीं होंगी. आपको इसमें काफ़ी बदलाव देखने मिलेगा.
ग्रॉसरी के लिए पहले की तरह भीड़-भाड़ अब शायद ही हो
ज़ाहिर है लॉकडाउन के बाद हम सभी को अपने घरों से बाहर निकलने की आज़ादी तो मिलेगी ही, पर इस आज़ादी की क़ीमत चुकानी होगी. यानी कहने का मतलब है आप पहले की तरह बेफ़िक्र होकर बाहर नहीं रहने पाएंगे. यानी टर्म्स ऐंड कंडिशन्स अप्लाइड होंगी.
हो सकता है पैंट्स के दिन फिर
पूरे लॉकडाउन के दौरान सबसे अधिक उपेक्षित रहे हमारे पैंट्स. वे वॉर्डरोब से बाहर निकलने के लिए तरस गए. वर्क फ्रॉम होम के चलते उनकी जगह पर्मानेंटली पजामों ने ले ली थी. लॉकडाउन के बाद पैंट्स को सुबह का सूरज देखने मिल सकता है. आख़िर उन्होंने लंबा समय वॉर्डरोब के अंधेरे में बिताया है.
मैगी और दूसरे प्रोसेस्ड फ़ूड की दावत के लिए करना होगा इंतज़ार
घर में राशन का पूरा सामान भरा होने के बाद हममें से ज़्यादातर लोग रोज़ाना की कुकिंग से बचते रहे हैं. अगर आपने भी मैगी और दूसरे प्रोसेस्ड फ़ूड खाने की आदत डाल ली हो तो उससे बाहर निकल पाना उतना भी आसान नहीं होनेवाला. पर सेहत का तकाजा तो यही कहता है आपको यह आदत भूलनी होगी.
घर के काम से काश मिले जल्दी आराम
वर्क फ्रॉम होम की सबसे बड़ी समस्याओं में एक यह भी थी कि हममें से अधिकतर लोगों को घर से काम करने के साथ-साथ घर का काम भी करना होता था. खाना पकाना, साफ़-सफ़ाई, कपड़े धोना जैसे कामों को निपटाने के बाद ऑफ़िस के पूरे काम करना. हम सभी उम्मीद करते होंगे कि जल्द से जल्द हमारी काम वाली बाइयों, दीदियों या आंटीज़ की वापसी हो. बेशक, आप उनकी सैलरी तक डबल करने के लिए ख़ुशी-ख़ुशी तैयार हो जाएंगे.

ट्रैफ़िक जाम से था आराम, पर…
आप भले ही घर पर ठहरने को जेल की तरह मान रहे थे, पर सोचिए आप रोज़ाना के ट्रैफ़िक जाम से बचे हुए थे. लॉकडाउन के बाद ट्रैफ़िक जाम में फंसने की बात सोचकर ही सिहरन हो जाते हैं ना! पर आपके पास ट्रैफ़िक से बचने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है. उम्मीद यही कर सकते हैं कि अचानक से सड़कों पर जाम नहीं लगेगा.
हर मुसीबत के पीछे कुछ न कुछ अच्छा छुपा ही होता है. यह पुरानी कहावत, लॉकडाउन पर भी लागू हुई. कोरोना वायरस के प्रसार के चलते, जब सब अपने घरों में क़ैद हो गए, तब हमारी धरती को कुछ समय के लिए मुस्कुराने का मौक़ा मिला. पर्यावरण ने ख़ुद अपनी सफ़ाई कर ली. उम्मीद करते हैं दोबारा इतनी जल्दी हमारी धरती गंदी नहीं होगी.
फ़िलहाल हम सभी वर्कआउट या कुकिंग के वीडियोज़ से दो-चार होते हैं. उम्मीद है कि लॉकडाउन ख़त्म होने के बाद ये मोटिवेशनल वीडियोज़, जिनका अब ओवरडोज़ हो रहा है,
स्टॉप हो जाएंगे. वैसे काफ़ी लोगों ने तो इन वीडियोज़ से दूरी बना ली है.
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अब तक कोरोना के वायरस को इंसानी दुनिया में आने के लिए चमगादड़ों को दोष दिया जा रहा है. उम्मीद है कि खानपान के शौक़ीनों की ज़ुबान पर लगाम लगेगी. वे अब चमगादड़ जैसे जीवों की जान बख्श देंगे.