आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने कड़ा कानून बनाने की वकालत की है. वर्तमान में भारतीय कानून में दुष्कर्म के दोषियों के लिए  मृत्युदंड का प्रावधान नहीं है. यह कानून, आंध्र प्रदेश अपराध कानून में एक संशोधन होगा जिसे 'आंध्र प्रदेश दिशा कानून' नाम दिया गया है.

आंध्र प्रदेश सरकार ने हाल ही में महिलाओं और बच्चों को बढ़ते अपराध से बचाने हेतु एक ऐतिहासिक फैसला लिया है. आंध्र प्रदेश में दुष्कर्म के दोषियों को जल्द सजा देने हेतु एक ड्राफ्ट बिल को मंजूरी दे दी गई.

आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य में दुष्कर्म मामलों में 21 दिनों के भीतर सुनवाई करने का फैसला किया है. कैबिनेट ने मसौदा विधेयक पारित कर दिया है. हाल ही में हैदराबाद में हुए डाक्टर के सामूहिक दुष्कर्म मामले के बाद आंध्र प्रदेश सरकार ने ये बड़ा फैसला किया है.

मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया. आंध्र प्रदेश सरकार ने महिला सुरक्षा बिल के मसौदे को कैबिनेट में पेश किया और इसे मंजूरी दी गई. इसे अब जल्द ही विधानसभा में रखा जाएगा. इसके बाद इसे राज्यपाल की अनुमति के बाद कानून बनाया जाएगा.

 

बिल में आईपीसी की धारा 354 में संशोधन करके नई धारा 354 (ई) बनाई गई है. वर्तमान में भारतीय कानून में दुष्कर्म के दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान नहीं है. बिल के पास होते ही आंध्र प्रदेश दुष्कर्म के मामलों में मौत की सजा देने वाला पहला राज्य होगा.

मुख्य बिंदु:

• सरकार ने एक बयान में कहा कि यह कानून, आंध्र प्रदेश अपराध कानून में एक संशोधन होगा जिसे 'आंध्र प्रदेश दिशा कानून' नाम दिया गया है. यह विधेयक 13 दिसंबर 2019 को राज्य विधानसभा में पेश किया जाएगा.

• कैबिनेट ने आंध्र प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए फास्ट-ट्रैक अदालतों के निर्माण को मंजूरी दी है.

 

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