श्रम मंत्री के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 38 श्रम कानून लागू हैं. किसी भी उद्योग के खिलाफ लेबर डिपार्टमेंट एनफोर्समेंट नियम के अंतर्गत कार्रवाई नहीं की जाएगी.

उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार ने कोरोना वायरस के संकट के चलते उद्योगों के आगे आई समस्या के कारण श्रम अधिनियम में तीन साल तक छूट प्रदान की है. इसे कैबिनेट ने 06 मई 2020 को अपनी मंजूरी दे दी है. यह छूट अस्थाई होगी. कैबिनेट ने अस्थाई छूट के लिए अध्यादेश 2020 के मसौदे को मंजूरी दी है.

यूपी श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी देते हुए बताया कि श्रमिकों की समस्या के लिए जिन इकाइयों के कार्यालय बंद पड़े हैं, उन्हें खोलने हेतु यह छूट दी गई है ताकि बाहर से जो प्रवासी श्रमिक प्रदेश में लाए जा रहे हैं उन्हें बड़े पैमाने पर काम मिल सके.

 

तीन साल के लिए अस्थाई छूट

यूपी श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने बताया कि ऐसी सभी जगह पर उत्तर प्रदेश में श्रम कानून में तीन साल के लिए अस्थाई छूट प्रदान की गई है. इसके साथ ही श्रमिकों के मूलभूत हितों की रक्षा के लिए श्रम कानूनों में जो उनको संरक्षण प्राप्त है, वह यथावत रहेंगे. इसमें बंधुआ श्रम तथा उत्पादन अधिनियम, भवन सन्निर्माण अधिनियम, कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम व बच्चों और  महिलाओं के नियोजन संबधित श्रम अधिनियम पूरे लागू रहेंगे. वेतन अधिनियम के अंतर्गत वेतन भुगतान की व्यवस्था यथावत रहेगी, उसके अलावा अन्य सुविधाएं उन्हें मिलेंगी.

 

उत्तर प्रदेश में 38 श्रम कानून लागू

श्रम मंत्री के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 38 श्रम कानून लागू हैं. किसी भी उद्योग के खिलाफ लेबर डिपार्टमेंट एनफोर्समेंट नियम के अंतर्गत कार्रवाई नहीं की जाएगी. इस दौरान श्रम विभाग का प्रवर्तन दल श्रम कानून के अनुपालन के लिए उनके यहां नहीं जाएगा. उन्होंने कहा कि जो उद्योग कोरोना महासंकट के चलते बंद हैं या कमजोर हैं, उन्हें श्रम कानून में नरमी से फिर से चालू किया जा सकेगा. व्यापारिक प्रतिष्ठानों को फिर से चालू किया जा सके और श्रमिकों को इसमें सेवायोजित किया जा सके.

 

बयान में यह भी बताया गया है कि श्रम कानूनों के बच्चों और महिलाओं से संबंधित प्रावधान भी जारी रहेंगे. बाकी श्रम कानून निष्प्रभावी हो जाएंगे. इनमें औद्योगिक विवादों को निपटाने, व्यावसायिक सुरक्षा, श्रमिकों की स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति और ट्रेड यूनियनों, अनुबंध श्रमिकों और प्रवासी मजदूरों से संबंधित कानून शामिल हैं. बंधुआ श्रम प्रथा (उत्सादन) अधिनियम 1976, कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम 1923 तथा भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन एवं सेवा शर्ते विनियमन) 1996 के प्रावधान लागू रहेंगे.

सज़ा का प्रावधान

उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में 'यूपी लोक स्वास्थ्य एवं महामारी रोग नियंत्रण अध्यादेश, 2020' को मंज़ूरी दी है. इसके तहत कोरोना वायरस मरीज़ द्वारा किसी अन्य को जानबूझकर संक्रमित करने से उस व्यक्ति की मौत होने पर उम्रकैद तक की सज़ा का प्रावधान है. अध्यादेश में कोरोना वॉरियर्स पर थूकने वाले लोगों के लिए 2 साल से 5 साल तक जेल का प्रावधान है.

 
 

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