इस महोत्सव का आयोजन जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार एवं भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राइफेड) की ओर से किया जा रहा है. इस महोत्सव में देश के 20 राज्यों के करीब 160 जनजातीय कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे है.
आदि महोत्सव (राष्ट्रीय जनजातीय उत्सव) 17 अगस्त 2019 से लेह-लद्दाख के पोलो ग्राउंड में आयोजित किया जा रहा है. यह महोत्सव नौ दिनों तक चलेगा. यह महोत्सव लेह-लद्दाख के पोलो ग्राउंड पर 17 अगस्त 2019 से 25 अगस्त 2019 तक चलेगा.
इस महोत्सव का आयोजन जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार एवं भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राइफेड) की ओर से किया जा रहा है. केन्द्र सरकार आदि महोत्सव के माध्यम से लद्दाख के हैंडीक्रॉफ्ट तथा अन्य स्थानीय उत्पादों को व्यापारिक प्लेटफ़ॉर्म उपलब्ध कराएगी.
इस महोत्सव में देश के 20 राज्यों के करीब 160 जनजातीय कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे है. महोत्सव में आदिवासियों के परंपरागत वस्तुओं तथा उनके द्वारा बनायी गयी वस्तुओं का भी प्रदर्शन किया जा रहा है. इस आयोजन में झारखंड के आदिवासी कला का प्रदर्शन किया जायेगा.
महोत्सव का विषय और उद्देश्य:
इस महोत्सव का विषय ‘जनजातीय कला, संस्कृति और वाणिज्य की भावना का उत्सव’ है. इस महोत्सव का आयोजन जनजातीय कला, संस्कृति और वन उत्पादों के लिए बेहतर बाजार मुहैया कराने के उद्देश्य से किया जा रहा है.
आदि महोत्सव के बारे में:
• आदि महोत्सव का आयोजन लद्दाख के आदिवासी संस्कृति, शिल्प, जनजातीय कला, जड़ी बूटियों संरक्षण और व्यापारिक प्लेटफ़ॉर्म देने के लिए हो रहा है.
• आदि महोत्सव में लोक नृत्य, ललित कला के प्रदर्शन के साथ साथ ट्राइबल आर्टस क्राफ़्ट, हरबल मेडिसिन, आदि को प्रदर्शित किया जाएगा. इसके तहत जन जातीय लोगों को आर्थिक संपन्नता के अवसर प्राप्त होंगे.
• आदि महोत्सव के दौरान प्रदर्शित किए जाने वाले उत्पादों में राजस्थान, महाराष्ट्र, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल से जनजातीय वस्त्र शामिल हैं. हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और पूर्वोत्तर से जनजातीय आभूषण शामिल हैं.
• वहीं इस महोत्सव में मध्य प्रदेश से गोंडचित्रकला जैसी जनजातीय चित्रकारी, महाराष्ट्र से वार्ली कला, छत्तीसगढ़ से धातु शिल्प, मणिपुर से ब्लैक पॉट्री और उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और कर्नाटक से ऑर्गेनिक उत्पाद शामिल हैं.
• स्थानीय कलाकार इस कार्यक्रम में लद्दाखी लोकनृत्य का प्रदर्शन करेंगे.
महत्व
इस महोत्सव के आयोजन में झारखंड के आदिवासी कला का भी प्रदर्शन किया जा रहा है, साथ ही राज्य के आदिवासी कला और उसकी जीवंतता को भी बताया जायेगा.