सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने मराठा आरक्षण संबंधी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग पर संज्ञान लेते हुए फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस भी जारी किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई 2019 को अपने आदेश में कहा कि महाराष्ट्र सरकार की तरफ से मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में दिए गए आरक्षण को पूर्व प्रभावी तौर पर लागू नहीं किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा मराठा आरक्षण को बरकरार रखने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाइकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा है कि अभी जो दाख़िले होंगे वह सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले पर निर्भर होंगे.
मराठा आरक्षण पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने 27 जून 2019 को अपना फैसला सुनाया था. बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र में सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा था. कोर्ट ने कहा है कि मराठा आरक्षण को 16 फीसदी से घटाकर 12 या 13 फीसदी करना चाहिए.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा की राज्य सरकार को आरक्षण देने का अधिकार है. अदालत ने एसईबीसी (SEBC) के कमीशन की रिपोर्ट को माना है. गायकवाड़ कमीशन रिपोर्ट के अनुसार, 12-13% आरक्षण दिया जाना चाहिए और इस बात को कोर्ट भी मानता है.
मराठा आरक्षण पर फैसला आने से पहले मुंबई पुलिस ने बॉम्बे हाईकोर्ट के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी थी, ताकि किसी भी तरह की अनहोनी को रोकने के लिए मुंबई पुलिस पहले से तैयार रहे. महाराष्ट्र के लोगों में खुशी की लहर है. अब उन्हें महाराष्ट्र की सरकारी नौकरियों में भी आरक्षण मिलेगा.
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महाराष्ट्र सरकार ने साल 2018 में मराठा समुदाय के लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरी में 16 फीसदी आरक्षण दिया था. हाइकोर्ट में इसके खिलाफ और समर्थन में कई याचिकाएं दायर की गई है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 26 मार्च 2019 को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण के खिलाफ दायर उस याचिका पर 24 जून को विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी. |