गृह मंत्रालय ने साफ किया है कि किसी व्यक्ति का एनआरसी में नाम शामिल नहीं होने का अर्थ यह नहीं है कि उसे विदेशी घोषित कर दिया गया है. गृह मंत्रालय ने कहा है की अंतिम एनआरसी से बाहर रह गए सभी लोग विदेशी ट्रिब्यूनल में अपील कर सकते हैं.
असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) की अंतिम सूची जारी 31 अगस्त 2019 को सुबह 10 बजे जारी कर दी गई है. इस सूची में 19 लाख लोग अपनी जगह नहीं बना पाए हैं. एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजारिका के अनुसार कुल 3,11,21,004 लोग इस सूची में जगह बनाने में सफल हुए हैं. उन्होंने कहा कि एनआरसी की अंतिम सूची से 19,06,657 लोग बाहर हो गए हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री ने असम के लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है. असम पुलिस ने भी 29 अगस्त 2019 को लोगों से समाज में भ्रम की स्थिति पैदा करने की कोशिश में जुटे तत्वों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों में नहीं आने अपील की.
गृह मंत्रालय ने साफ किया है कि किसी व्यक्ति का एनआरसी में नाम शामिल नहीं होने का अर्थ यह नहीं है कि उसे विदेशी घोषित कर दिया गया है. गृह मंत्रालय ने कहा है की अंतिम एनआरसी से बाहर रह गए सभी लोग विदेशी ट्रिब्यूनल में अपील कर सकते हैं. विदेशी ट्रिब्यूनल की संख्या बढ़ाई जा रही है. अपील दायर करने की समयसीमा को 60 दिन से बढ़ाकर 120 दिन कर दिया गया है.
एनआरसी की प्रक्रिया की निगरानी पर सुप्रीम कोर्ट
31 जुलाई 2018 को जारी किए गए एनआरसी के ड्राफ्ट में 40.7 लाख लोगों के नाम सूची से बाहर कर दिए गए थे. इसके बाद 26 जून 2019 को एक अतिरिक्त ड्राफ्ट सूची आई जिसमें करीब एक लाख और लोगों के नाम सूची से बाहर निकाले गए थे. एनआरसी की अंतिम सूची अब 31 अगस्त को प्रकाशित हो रही है. एनआरसी की प्रक्रिया की निगरानी पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट कर रही है. इसका मुख्य उद्देश्य असम में अवैध अप्रवासियों की पहचान करना है.
ची से बाहर हैं तो क्या होगा?
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है कि केवल एनआरसी में नाम न आने से कोई व्यक्ति विदेशी नागरिक घोषित नहीं हो जाएगा. जिनके नाम इसमें शामिल नहीं हैं, उन्हें विदेशी ट्रिब्यूनल के सामने कागजातों के साथ पेश होना होगा. व्यक्ति को इसके लिए 120 दिन का समय दिए जाने का प्रावधान है. हालांकि, यदि आवेदक विदेशी ट्रिब्यूनल के फैसले से असंतुष्ट है तो उसके पास हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के पास जाने का भी अधिकार है.
एनआरसी क्या है?
एनआरसी(NRC) असम में अधिवासित सभी नागरिकों की एक सूची है. वर्तमान में राज्य के भीतर वास्तविक नागरिकों को बनाए रखने और बांग्लादेश से अवैध रूप से प्रवासियों को बाहर निकालने हेतु अद्यतन किया जा रहा है. पहली बार यह साल 1951 में तैयार किया गया था.
मामला क्या है?
साल 1951 के बाद असम में पहली बार नागरिकता की पहचान की जा रही है. इसकी प्रमुख कारण राज्य में बड़ी संख्या में अवैध तरीके से रह रहे लोग हैं. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एनआरसी की अंतिम सूची बन रही है. एनआरसी की सूची को अपडेट करने का मुख्य उद्देश्य उन लोगों की पहचान करना है, जो 20वीं शताब्दी की शुरुआत में पड़ोसी देश बांग्लादेश से भारी संख्या में असम में आकर बस गए हैं.
सूची में शामिल होने की क्या है शर्त
एनआरसी की वर्तमान सूची में शामिल होने के लिए व्यक्ति के परिजनों का नाम साल 1951 में बने पहले नागरिकता रजिस्टर में होना चाहिए या फिर 24 मार्च 1971 तक की चुनाव सूची में होना चाहिए. इसके लिए अन्य दस्तावेजों में जन्म प्रमाणपत्र, शरणार्थी पंजीकरण प्रमाणपत्र, भूमि और किरायेदारी के रिकॉर्ड, नागरिकता प्रमाणपत्र, स्थायी आवास प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, एलआईसी पॉलिसी, सरकार द्वारा जारी लाइसेंस या प्रमाणपत्र, बैंक या पोस्ट ऑफिस खाता, सरकारी नौकरी का प्रमाण पत्र, शैक्षिक प्रमाण पत्र तथा अदालती रिकॉर्ड होना चाहिए.