क्रिकेट के इतिहास में महान आलराउंडर के रूप में कपिल देव का नाम जाना जाता है । उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बन कर टीम को अनेक बार विजय दिलाई । 1983 में वर्ल्ड कप जीतकर उनके नेतृत्व में टीम ने इतिहास रच डाला । उसके तीन वर्ष बाद उनकी कप्तानी में इग्लैड में भारत ने सीरीज जीती । वह कुशल मीडियम पेस गेंदबाज, मध्यम क्रम के तेज हिट करने वाले बल्लेबाज, कुशल फील्डर तथा श्रेष्ठ कप्तान रहे । उन्हें हम आलराउंडर क्रिकेटर कह सकते हैं । कपिल देव का पूरा नाम कपिल देव रामलाल निखंज है । वह दाहिने हाथ के बल्लेबाज व दाहिने हाथ के तेज मध्यम गति के गेंदबाज रहे ।
कपिल देव एकमात्र भारतीय क्रिकेटर हैं जिन्हें तीन राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं । 1979-80 में उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ दिया गया । उन्हें ‘पद्मश्री’ पुरस्कार से तथा 1991 में ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया गया । 70 के दशक में अन्तिम वर्षों तक भारतीय टीम में कोई अच्छा ‘ओपनिंग बॉलर’ नहीं था । तब कपिल का क्रिकेट में आगमन हुआ । वह दाहिने हाथ के मध्यम गति के अनूठे खिलाड़ी रहे जो अपने समय के सर्वश्रेष्ठ ‘हिटर’ रहे और वह मानवीय संवेदनाओं से पूर्ण एक श्रेष्ठ बल्लेबाज थे जिन्होंने अभूतपूर्ण सफलता प्राप्त की ।
Kapil Dev कपिल देव ने क्रिकेट में अपना पहला मैच 1975 में हरियाणा की तरफ से खेला था जिसमें उन्होंने पंजाब के खिलाफ खेलते हुए 6 विकेट लिए थे और पंजाब को 63 रन पर सिमटा दिया | इस तरह हरियाणा की जीत हुयी थी | कपिल देव ने इस सीजन में 30 मैच खेलते हुए 121 विकेट लिए थे | 1976–77 सीजन में उन्होंने जम्मू कश्मीर के खिलाफ खेलते हुए 8 विकेट लेकर अपनी टीम को जीत दिलाई थी | इसके बाद उन्होंने अपने फर्स्ट क्लास करियर में कई रिकॉर्ड कायम किये थे इसके बा उन्होंने रणजी में भी कई मैचो में बेहतरीन प्रदर्शन किया था |
इसके बाद उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा और 1978 में उन्होंने अपना पहला टेस्ट मैच पाकिस्तान के खिलाफ खेला था | 1978 से लेकर 1994 तक उन्होंने भारतीय टीम को उचाइयो तक पहुचाया और कई रिकॉर्ड भी कायम किये | कपिल देव ने 131 टेस्ट मैचो में 5248 रन और 434 विकेट लिए थे | अपने टेस्ट करियर में उन्होंने 163 रन की सर्वाधिक पारी खेली थी | इसके अलावा उन्होंने अपने टेस्ट करियर में 8 शतक और 27 अर्द्धशतक बनाये थे |
कपिल देव विश्व क्रिकेट में सबसे कम समय में 100 विकेट लेने वाले खिलाड़ी बने थे और सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी थे | कपिल देव ने भारतीय क्रिकेट को नई दिशा प्रदान की और स्वयं भी प्रशंसा और प्रसिद्धि पाई । 1983 में कपिल देव के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व कप जीता । यह उनकी अभूतपूर्व उपलब्धियाँ हैं ।
बल्लेबाज के रूप में उन्होंने क्रिकेट की महान ऊंचाइयों को छू लिया । ‘टनब्रिजवेल्स, इंग्लैंड में जिंबाब्वे के विरुद्ध 175 अविजित रन बना कर उन्होंने भरपूर प्रशंसा बटोरी । 1983 के विश्व कप में कपिल देव ने 17 रन पर 5 विकेट के स्कोर पर खेलना आरम्भ किया और 60 ओवर में 266 रन पर टीम को पहुंचा दिया । उन्होंने अविजित 175 रन बना डाले ।
1990 में इंग्लैंड के विरुद्ध टैस्ट खेलते हुए फालोआन बचाने के लिए एडी हेमिंग्ज की गेंद पर उन्होंने 4 बार 6 छक्के लगाकर सबको चौंका दिया । उनका 434 विकेट लेने का रिकार्ड है । कपिल ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्होंने 5248 रन के साथ ही टैस्ट मैचों में 400 विकेट लिए हैं । किसी भारतीय द्वारा सबसे ज्यादा टैस्ट मैच खेलने का रिकार्ड भी कपिल देव के ही नाम है । उन्हें पिछले दिनों भारतीय क्रिकेट टीम का कोच भी बनाया गया था |
वर्ग 2002 में विज्डन (लंदन) द्वारा कपिल देव को ‘इंडियन प्लेयर ऑफ द सेंचुरी’ चुना गया । 35 सदस्यों की निर्णायक टीम ने सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर को पीछे छोड़कर कपिल देव को चुना । उनका कहना था कि कपिल एक ऐसा खिलाड़ी था जो अकेले ही खेल के परिणामों की दिशा मोड़ सकता था ।
कपिल देव ने ‘बाई गॉड्स डिक्री’ इस नाम से अपनी आत्मकथन लिखी. विश्व में जाने-माने आलराउंडर के क्रिकेट जीवन की शुरुआत उस समय हुई, जब 16 सेक्टर की टीम में एक खिलाड़ी कम हो गया था. किसी को क्या पता था की खानापूर्ति के लिए जिसे टीम में लिया जा रहा है, वह कपिल क्रिकेट के विश्वमंच पर दिन सबसे कम समय में 100 विकेटें लेने वाला खिलाड़ी ही नहीं बनेगा, चमत्कारिक रूप से 129 टेस्ट मैचों में 5,226 रन और 431 विकटें लेने जैसी उपलब्धियों को हासिल करने वाला पहला भारतीय आलराउंडर होगा.
भारतीय क्रिकेट टीम को सन 1983 में एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट श्रुंखला में विश्वविजेता बनाने का श्रेय कपिलदेव को है. विश्वकप में उनके व्दारा बनाने गये 175 रनों की ऐतिहासिक पारी क्रिकेट जगत में स्वर्णित अक्षरों में अंकित हो गयी है. 1987 के वर्ल्ड कप में सच्ची खेलभावना के लिए कपिल देव को हमेशा याद रखा जाता है। 1987 के वर्ल्ड कप में पहला मैच ऑस्ट्रेलिया और इंडिया के बीच में हुआ था। जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 268 रन बनाए थे, लेकिन ऑस्ट्रेलिया की बैटिंग खत्म होने के बाद कपिल देव ने अंपायरों के साथ बातचीत की जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया को दो रन और दिए गए।
कपिल देव ने अंपायरों को बताया कि मैच के दौरान एक सिक्स लगा था जिसे उन्होंने फोर दिया था। इस सबके चलते अब इंडिया को जीतने के लिए 269 की जगह 271 रन का टारगेट मिला। किस्मत को खेल भी कुछ ऐसा हुआ कि इंडिया की टीम केवल 269 रन ही बना पाई और 1 रन से मैच हार गई। कपिल देव की इस सच्ची खेलभावना के चलते मैच का नतीजा बिल्कुल बदल गया था। विज्डन क्रिकेटर एल्मनैक में भी इस बारे में बताया गया है।
अपने इस फैसले के चलते कपिल देव को कप्तानी से हटा दिया गया और वह कभी दोबारा टीम के कप्तान नहीं बने। कप्तान के तौर पर उनका बुरा समय भी रहा जब गावसकर के साथ झगड़े की बात सामनें आई और बॉलर के तौर पर उनका प्रर्दशन खराब हुआ। (इसी साल कपिल देव ने अपने घुटने की सर्जरी करवाई थी जिससे उनकी बॉलिंग स्पीड में भी कमी आई थी। )
सेवानिवृत्ति के पशचात :
कपिल देव ने १९९४ मे अन्तर-राष्ट्रीय क्रिकेट को अल्विदा कह दिया। १९९९ मे उन्हे भारतीय क्रिकेट टीम का कोच चुना गया। उन्की अवधि के दौरान भारत का प्रदर्शन खास न रहा जिस्मे वे केवल एक टेस्ट मैच जीते और औसट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के विरुध दो बडी सीरीज़ हारे। मनोज प्रभाकर द्वारा सट्टेबाज़ी मे फसाये जाने के बाद उन्होने अपने कोच के पद को त्याग दिया। २००५ मे उन्होने खुशी नामक एक राष्ट्रीय सरकारी संगठन की स्थाप्ना की। अभी वे उसके अध्यक्ष है। खुशी दिल्ली मे कम विशेषाधिकृत बच्चो के लिये तीन विद्यालय चलाती है। २४ सितम्बर २००८ को उन्होने भार्तीय प्रादेशिक सेना मे भाग लिया और उन्हे लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप मे चुना गया।
