बालकाण्ड में प्रभु राम के जन्म से लेकर राम-विवाह तक के घटनाक्रम आते हैं। नीचे बालकाण्ड से जुड़े घटनाक्रमों की विषय सूची दी गई है। आप जिस भी घटना के बारे में पढ़ना चाहते हैं, उसकी लिंक पर क्लिक करें।
- मंगलाचरण
- गुरु वंदना
- ब्राह्मण-संत वंदना
- खल वंदना
- संत-असंत वंदना
- रामरूप से जीवमात्र की वंदना
- तुलसीदासजी की दीनता और राम भक्तिमयी कविता की महिमा
- कवि वंदना
- वाल्मीकि, वेद, ब्रह्मा, देवता, शिव, पार्वती आदि की वंदना
- श्री सीताराम-धाम-परिकर वंदना
- श्री नाम वंदना और नाम महिमा
- श्री रामगुण और श्री रामचरित् की महिमा
- मानस निर्माण की तिथि
- मानस का रूपक और माहात्म्य
- याज्ञवल्क्य-भरद्वाज संवाद तथा प्रयाग माहात्म्य
- सती का भ्रम, श्री रामजी का ऐश्वर्य और सती का खेद
- शिवजी द्वारा सती का त्याग, शिवजी की समाधि
- सती का दक्ष यज्ञ में जाना
- पति के अपमान से दुःखी होकर सती का योगाग्नि से जल जाना, दक्ष यज्ञ विध्वंस
- पार्वती का जन्म और तपस्या
- श्री रामजी का शिवजी से विवाह के लिए अनुरोध
- सप्तर्षियों की परीक्षा में पार्वतीजी का महत्व
- कामदेव का देवकार्य के लिए जाना और भस्म होना
- रति को वरदान
- देवताओं का शिवजी से ब्याह के लिए प्रार्थना करना, सप्तर्षियों का पार्वती के पास जाना
- शिवजी की विचित्र बारात और विवाह की तैयारी
- शिवजी का विवाह
- शिव-पार्वती संवाद
- अवतार के हेतु
- नारद का अभिमान और माया का प्रभाव
- विश्वमोहिनी का स्वयंवर, शिवगणों को तथा भगवान् को शाप और नारद का मोहभंग
- मनु-शतरूपा तप एवं वरदान
- प्रतापभानु की कथा
- रावणादिका जन्म, तपस्या और उनका ऐश्वर्य तथा अत्याचार
- पृथ्वी और देवतादि की करुण पुकार
- भगवान् का वरदान
- राजा दशरथ का पुत्रेष्टि यज्ञ, रानियों का गर्भवती होना
- श्री भगवान् का प्राकट्य और बाललीला का आनंद
- विश्वामित्र का राजा दशरथ से राम-लक्ष्मण को माँगना, ताड़का वध
- विश्वामित्र-यज्ञ की रक्षा
- अहल्या उद्धार
- श्री राम-लक्ष्मण सहित विश्वामित्र का जनकपुर में प्रवेश
- श्री राम-लक्ष्मण को देखकर जनकजी की प्रेम मुग्धता
- श्री राम-लक्ष्मण का जनकपुर निरीक्षण
- पुष्पवाटिका-निरीक्षण, सीताजी का प्रथम दर्शन, श्री सीता-रामजी का परस्पर दर्शन
- श्री सीताजी का पार्वती पूजन एवं वरदान प्राप्ति तथा राम-लक्ष्मण संवाद
- श्री राम-लक्ष्मण सहित विश्वामित्र का यज्ञशाला में प्रवेश
- श्री सीताजी का यज्ञशाला में प्रवेश
- बंदीजनों द्वारा जनकप्रतिज्ञा की घोषणा, राजाओं से धनुष न उठना, जनक की निराशाजनक वाणी
- श्री लक्ष्मणजी का क्रोध
- धनुषभंग
- जयमाला पहनाना, परशुराम का आगमन व क्रोध
- श्री राम-लक्ष्मण और परशुराम-संवाद
- दशरथजी के पास जनकजी का दूत भेजना, अयोध्या से बारात का प्रस्थान
- बारात का जनकपुर में आना और स्वागतादि
- श्री सीता-राम विवाह, विदाई
- बारात का अयोध्या लौटना और अयोध्या में आनंद
- श्री रामचरित् सुनने-गाने की महिमा