Ramayan
|| अयोध्याकांड ||
अयोध्याकांड में श्रीराम वनगमन से लेकर श्रीराम-भरत मिलाप तक के घटनाक्रम आते हैं। नीचे अयोध्याकांड से जुड़े घटनाक्रमों की विषय सूची दी गई है। आप जिस भी घटना के बारे में पढ़ना चाहते हैं उसकी लिंक पर क्लिक करें।
- मंगलाचरण
- राम राज्याभिषेक की तैयारी, देवताओं की व्याकुलता तथा सरस्वती से उनकी प्रार्थना
- सरस्वती का मन्थरा की बुद्धि फेरना, कैकेयी-मन्थरा संवाद, प्रजा में खुशी
- कैकेयी का कोपभवन में जाना
- दशरथ-कैकेयी संवाद और दशरथ शोक, सुमन्त्र का महल में जाना और वहाँ से लौटकर श्री रामजी को महल में भेजना
- श्री राम-कैकेयी संवाद
- श्री राम-दशरथ संवाद, अवधवासियों का विषाद, कैकेयी को समझाना
- श्री राम-कौसल्या संवाद
- श्री सीता-राम संवाद
- श्री राम-कौसल्या-सीता संवाद
- श्री राम-लक्ष्मण संवाद
- श्री लक्ष्मण-सुमित्रा संवाद
- श्री रामजी, लक्ष्मणजी, सीताजी का महाराज दशरथ के पास विदा माँगने जाना, दशरथजी का सीताजी को समझाना
- श्री राम-सीता-लक्ष्मण का वन गमन और नगर निवासियों को सोए छोड़कर आगे बढ़ना
- श्री राम का श्रृंगवेरपुर पहुँचना, निषाद के द्वारा सेवा
- लक्ष्मण-निषाद संवाद, श्री राम-सीता से सुमन्त्र का संवाद, सुमंत्र का लौटना
- केवट का प्रेम और गंगा पार जाना
- प्रयाग पहुँचना, भरद्वाज संवाद, यमुनातीर निवासियों का प्रेम
- तापस प्रकरण
- यमुना को प्रणाम, वनवासियों का प्रेम
- श्री राम-वाल्मीकि संवाद
- चित्रकूट में निवास, कोल-भीलों के द्वारा सेवा
- सुमन्त्र का अयोध्या को लौटना और सर्वत्र शोक देखना
- दशरथ-सुमन्त्र संवाद, दशरथ मरण
- मुनि वशिष्ठ का भरतजी को बुलाने के लिए दूत भेजना
- श्री भरत-शत्रुघ्न का आगमन और शोक
- भरत-कौसल्या संवाद और दशरथजी की अन्त्येष्टि क्रिया
- वशिष्ठ-भरत संवाद, श्री रामजी को लाने के लिए चित्रकूट जाने की तैयारी
- अयोध्यावासियों सहित श्री भरत-शत्रुघ्न आदि का वनगमन
- निषाद की शंका और सावधानी
- भरत-निषाद मिलन और संवाद और भरतजी का तथा नगरवासियों का प्रेम
- भरतजी का प्रयाग जाना और भरत-भरद्वाज संवाद
- भरद्वाज द्वारा भरत का सत्कार
- इंद्र-बृहस्पति संवाद
- भरतजी चित्रकूट के मार्ग में
- श्री सीताजी का स्वप्न, श्री रामजी को कोल-किरातों द्वारा भरतजी के आगमन की सूचना, रामजी का शोक, लक्ष्मणजी का क्रोध
- श्री रामजी का लक्ष्मणजी को समझाना एवं भरतजी की महिमा कहना
- भरतजी का मन्दाकिनी स्नान, चित्रकूट में पहुँचना, भरतादि सबका परस्पर मिलाप, पिता का शोक और श्राद्ध
- वनवासियों द्वारा भरतजी की मंडली का सत्कार, कैकेयी का पश्चाताप
- श्री वशिष्ठजी का भाषण
- श्री राम-भरतादि का संवाद
- जनकजी का पहुँचना, कोल किरातादि की भेंट, सबका परस्पर मिलाप
- कौसल्या सुनयना-संवाद, श्री सीताजी का शील
- जनक-सुनयना संवाद, भरतजी की महिमा
- जनक-वशिष्ठादि संवाद, इंद्र की चिंता, सरस्वती का इंद्र को समझाना
- श्री राम-भरत संवाद
- भरतजी का तीर्थ जल स्थापन तथा चित्रकूट भ्रमण
- श्री राम-भरत-संवाद, पादुका प्रदान, भरतजी की बिदाई
- भरतजी का अयोध्या लौटना, भरतजी द्वारा पादुका की स्थापना, नन्दिग्राम में निवास और श्री भरतजी के चरित्र श्रवण की महिमा
बालकाण्ड में प्रभु राम के जन्म से लेकर राम-विवाह तक के घटनाक्रम आते हैं। नीचे बालकाण्ड से जुड़े घटनाक्रमों की विषय सूची दी गई है। आप जिस भी घटना के बारे में पढ़ना चाहते हैं, उसकी लिंक पर क्लिक करें।
- मंगलाचरण
- गुरु वंदना
- ब्राह्मण-संत वंदना
- खल वंदना
- संत-असंत वंदना
- रामरूप से जीवमात्र की वंदना
- तुलसीदासजी की दीनता और राम भक्तिमयी कविता की महिमा
- कवि वंदना
- वाल्मीकि, वेद, ब्रह्मा, देवता, शिव, पार्वती आदि की वंदना
- श्री सीताराम-धाम-परिकर वंदना
- श्री नाम वंदना और नाम महिमा
- श्री रामगुण और श्री रामचरित् की महिमा
- मानस निर्माण की तिथि
- मानस का रूपक और माहात्म्य
- याज्ञवल्क्य-भरद्वाज संवाद तथा प्रयाग माहात्म्य
- सती का भ्रम, श्री रामजी का ऐश्वर्य और सती का खेद
- शिवजी द्वारा सती का त्याग, शिवजी की समाधि
- सती का दक्ष यज्ञ में जाना
- पति के अपमान से दुःखी होकर सती का योगाग्नि से जल जाना, दक्ष यज्ञ विध्वंस
- पार्वती का जन्म और तपस्या
- श्री रामजी का शिवजी से विवाह के लिए अनुरोध
- सप्तर्षियों की परीक्षा में पार्वतीजी का महत्व
- कामदेव का देवकार्य के लिए जाना और भस्म होना
- रति को वरदान
- देवताओं का शिवजी से ब्याह के लिए प्रार्थना करना, सप्तर्षियों का पार्वती के पास जाना
- शिवजी की विचित्र बारात और विवाह की तैयारी
- शिवजी का विवाह
- शिव-पार्वती संवाद
- अवतार के हेतु
- नारद का अभिमान और माया का प्रभाव
- विश्वमोहिनी का स्वयंवर, शिवगणों को तथा भगवान् को शाप और नारद का मोहभंग
- मनु-शतरूपा तप एवं वरदान
- प्रतापभानु की कथा
- रावणादिका जन्म, तपस्या और उनका ऐश्वर्य तथा अत्याचार
- पृथ्वी और देवतादि की करुण पुकार
- भगवान् का वरदान
- राजा दशरथ का पुत्रेष्टि यज्ञ, रानियों का गर्भवती होना
- श्री भगवान् का प्राकट्य और बाललीला का आनंद
- विश्वामित्र का राजा दशरथ से राम-लक्ष्मण को माँगना, ताड़का वध
- विश्वामित्र-यज्ञ की रक्षा
- अहल्या उद्धार
- श्री राम-लक्ष्मण सहित विश्वामित्र का जनकपुर में प्रवेश
- श्री राम-लक्ष्मण को देखकर जनकजी की प्रेम मुग्धता
- श्री राम-लक्ष्मण का जनकपुर निरीक्षण
- पुष्पवाटिका-निरीक्षण, सीताजी का प्रथम दर्शन, श्री सीता-रामजी का परस्पर दर्शन
- श्री सीताजी का पार्वती पूजन एवं वरदान प्राप्ति तथा राम-लक्ष्मण संवाद
- श्री राम-लक्ष्मण सहित विश्वामित्र का यज्ञशाला में प्रवेश
- श्री सीताजी का यज्ञशाला में प्रवेश
- बंदीजनों द्वारा जनकप्रतिज्ञा की घोषणा, राजाओं से धनुष न उठना, जनक की निराशाजनक वाणी
- श्री लक्ष्मणजी का क्रोध
- धनुषभंग
- जयमाला पहनाना, परशुराम का आगमन व क्रोध
- श्री राम-लक्ष्मण और परशुराम-संवाद
- दशरथजी के पास जनकजी का दूत भेजना, अयोध्या से बारात का प्रस्थान
- बारात का जनकपुर में आना और स्वागतादि
- श्री सीता-राम विवाह, विदाई
- बारात का अयोध्या लौटना और अयोध्या में आनंद
- श्री रामचरित् सुनने-गाने की महिमा